एक गुल्लक खूबसूरत यादों की...

किताबों में से कुछ अंश
पहला अध्याय
इसी क्रम में किताब के कुछ प्रमुख अध्यायों पर एक संक्षिप्त नजर डालें, तो इसका पहला अध्याय ‘शब्द’ किताब की वास्तविक भूमिका है। इसमें जीवन की आपा-धापी से कुछ समय मिलने पर लेखिका में लेखन की अन्त:प्रेरणा उत्पन्न होती है, और वो अपनी सबसे प्यारी सहेली यानी अपनी डायरी की तरफ मुड़ती है।
दूसरा अध्याय
दूसरे अध्याय में चीजें फ्लैशबैक में चली जाती हैं और एक बच्चे को जन्म देने जा रही लेखिका काफी पीछे शादी से पहले की आईआईटी में आॅल इंडिया 20 रैंक लाने वाली एक छात्रा हो जाती है, जिसे तब उसके नाना समझाते हैं कि कामयाबियां कितनी भी बड़ी हों, कदम हमेशा जमीन पर ही रहने चाहिए और नाना की यही सीख लेखिका के इस अध्याय की कविता है... कदम जमीन पर रहें।
तीसरा अध्याय
तीसरे अध्याय ‘जिंदगी’ में लेखिका आईआईटी मे अंतिम वर्ष में है, लेकिन आर्थिक मंदी के कारण प्लेसमेंट करने कोई कंपनी नहीं आ रही, जिस कारण बेहद हताश और परेशान है। वो काबिल है, लेकिन किस्मत के कारण उसे नौकरी नहीं मिल पा रही। तिस पर घर वालों की उम्मीदों का दबाव अलग है। इन तनावों में उलझा उसका दिमाग एक बारगी आत्महत्या जैसी चीज तक सोच लेता है। हताशा की इस हालत में जब फोन पर उसके पापा यह कहते हैं कि ‘पापा इज आॅलवेज विथ यू’ तो जैसे उसे ‘लाइफ टॉनिक’ मिल जाती है और जिंदगी फिर खूबसूरत लगने लगती है।
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