क्षितिज रॉय की 'गंदी बात' चर्चा में


राजकमल प्रकाशन द्वारा  प्रकाशित गन्दी बात,  आज कल बोहोत चर्चा मे है किताब एक नयापन लिए हुए हैं,  ऐसा ज्यादातर पाठको का कहना है.
"एक लड़का था— कुछ लोफर, लफुआ, दीवाना-सा! जिसका दिल था नए रैपर में वही पुराना— शहीदाना। शहर पटना पूरा अपना लगे उसे! लड़की थी अलबेली-सी, सोचने का कारखाना, हिम्मत की एनीटाइम लोडेड गन जैसी, पुरानी जीन्स और एकदम नया गाना! दिल्ली शहर में मौसम था अन्ना आन्दोलन का, चुनाव के घुमड़ रहे थे बादल। डेजी आई पढऩे एलएसआर में। बन गई ड्रमर। गोल्डन आया डेजी के पीछे बावला। बन गया ड्राइवर। दोनों थे खालिस गैर राजनीतिक युवा। पढि़ए उन्हीं के घोर राजनीतिक रोमांस की दिलचस्प दास्तां, जिसमें उनकी निजता में शहर, समाज और परिस्थितियाँ दे रही हैं बराबरी से दखल... जहाँ कुछ भी नहीं है निश्चित और अनिश्चित ही है उनका सबसे बड़ा रोमांस... जिसे कहते हैं सब गंदी बात, क्या होती है वाकई वह गंदी-सी कोई बात!"- गन्दी बात का एक अंश.

क्षितिज रॉय के बारे मे
बिहार के सहरसा जिले में 1993 में जन्मे। नेतरहाट स्कूल में हाई स्कूल तक की पढ़ाई की। उसके बाद की पढ़ाई डीपीएस (आरकेपुरम), किरोड़ीमल कॉलेज और डी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नई दिल्ली से पूरी की। ननिहाल में किताबों से इश्क हुआ, कॉलेज कैम्पस में लिखने से। विशेष लगाव इतिहास से रखते हैं। अपने इर्द-गिर्द पसरे किरदारों को कहानियों में समेटने की बेचैनी में जीते हैं, और उन्हें परदे पर उतारने की भी। खुद की बनाई लघु फिल्में अपने YouTube चैनल MCBC FILMY पर अपलोड करते रहते हैं। इनकी लिखी कुछ कहानियाँ नीलेश मिसरा ने अपने रेडियो शो 'याद शहर' में सुनाई हैं।
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