जन्मशताब्दी पर भीष्म साहनी के तीन किताबों का लोकार्पण

नई दिल्ली। मंगलवार को भारत के महान लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी भीष्म साहनी (BHISHAM SAHNI) के जन्म के 100 साल पूरे हो गए। इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन समूह ने आॅक्सफोर्ड बुक स्टोर में ‘विभाजन की त्रासदी और आज का भारत’ विषय पर परिचर्चा के साथ-साथ भीष्म साहनी की तीन किताबों का भी लोकार्पण किया। परिचर्चा में चर्चित जानी-मानी आलोचक निर्मला जैन, कथाकार एवं नाटककार असगर वजाहत, लेखक एवं अनुवादक कल्पना साहनी के साथ-साथ मशहुर दास्तानगो दारेन शाहिदी ने भीष्म साहनी की कहानियों का पाठ किया। कार्यक्रम में नई साज सज्जा में प्रकाशित भीष्म साहनी की आत्मकथा ‘आज के अतीत’ (Aaj Ke Ateet) और पहली बार पेपरबैक संस्करण में प्रकाशित कहानी संग्रह (books) ‘शोभायात्रा’ और ‘वाङ्चू’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर असगर वजाहत ने कहा कि हमारा समाज विभाजन के बाद सबसे ज्यादा आज के वक्त में बंटा हुआ है। स्वतंत्र भारत में विभाजन, सत्ता और राजनीति का हिस्सा बन गया है। प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसे राजनीति का माध्यम बनाया हुआ है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भीष्म साहनी ने विभाजन से जुड़े सभी पक्षों को समझते हुए लिखा। उनकी लेखन में समझ और वेदना है। भीष्म साहनी की बेटी कल्पना साहनी ने पुरानी यादों की पोटली से कुछ किस्से श्रोताओं के साथ साझा करते हुए कहा कि भीष्मजी अपने भाई बलराज को पंजाबी उर्दू में चिट्ठियां लिखा करते थे। इससे घर में कोई और उन चिट्ठियों को न पढ़ सके। अपनी बात कहते हुए उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि विभाजन के बाद सरहद के आर-पार के लोगों का रिश्ता टूट गया है, लोगों में अभी भी बहुत प्रेम और सद्भावना है। निर्मला जैन ने कहा, भीष्म साहनी बहुत ही मीठे स्वभाव के व्यक्ति थे। बहुरंगी, लेकिन यथार्थ के साथ जुड़े व्यक्ति थे।

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