
नई दिल्ली। स्कूली विद्यार्थी क्या पढ़ना चाहते हैं? अपनी शैक्षणिक सामग्री में और क्या चाहते हैं और सीखने के लिए उनकी विशेष पंसद क्यों होती हैं? यह सर्वेक्षण कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस और जर्मन बुक आॅफिस द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य शिक्षकों, प्रकाशकों, लेखकों और कंटेट तैयार करने वालों को चर्चा का विषय देना है। बच्चों की पढ़ने-लिखने की सामग्री तैयार करने वालों को मंच उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से शुरू किए गए वार्षिक फोरम जंपस्टार्ट के आठवें संस्करण के समापन के बाद हुए इस सर्वे के जरिए सीखने वालों की पसंद में झांकने की कोशिश की गई। बच्चे क्या पढ़ना चाहते हैं, अपने डिवाइस पर कितना समय बिताते हैं, क्या पढ़ना चाहिए यह फैसला वे किससे प्रभावित होकर लेते हैं, अपनी पाठ्यपुस्तकों में वे और क्या चाहते हैं, अपना वक्त वे किन चीजों पर खर्च करते हैं और ऐसा क्या है जो उन्हें दिलचस्प नहीं लगता है, ये सभी बातें सर्वे में शामिल हैं। शुरूआती निष्कर्षों में पता चला है कि सर्वे में शामिल बच्चों में से 41 फीसदी अपनी पाठ्यपुस्तक से इतर एक या दो किताबें (
books) पढ़ते हैं, 30 फीसदी तीन से पांच किताबें पढ़ते हैं और 16 फीसदी पांच से ज्यादा किताबें पढ़ते हैं जबकि सर्वे में शामिल बाकी बच्चे अपने पाठ्यक्रम से इतर कोई किताब नहीं पढ़ते। इसमें यह भी पता चला है कि डिवाइस समेत इतर वस्तुओं में बच्चे शैक्षणिक सामग्री खोजते हैं। 31 फीसदी हर रोज ज्ञान संबंधी चीजें देखते हैं और 13 फीसदी डिवाइस के जरिए ज्ञान की चीजें नहीं देखते। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक रत्नेश झा ने कहा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी भी बच्चे अपने शिक्षकों और अभिभावकों को देखकर ही सीखते हैं कि उन्हें क्या पढ़ना और देखना चाहिए। लगभग 90 फीसदी अपने अभिभावकों या शिक्षकों या दोनों से राय लेते हैं।
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