
नई दिल्ली। रवीन्द्रनाथ टैगोर (
Ravindernath Tegour )का संगीत विज्ञान की शिक्षा के लिए बहुत मददगार हो सकता है। एक नई किताब (
books) में दावा किया गया है कि केवल विद्यालयों में ही नहीं, बल्कि विज्ञान के शोध में भी रवीन्द्रसंगीत के कुछ निश्चित गीत आधुनिक वैज्ञानिक विचारों को प्रभावित कर सकते हैं। यह किताब विज्ञान में रवीन्द्रसंगीत के प्रभाव की पड़ताल भी करती है। ‘ए रेंडम वॉक इन शांतिनिकेतन आश्रम’ नाम की इस किताब में टैगोर पर व्यापक विचार किया गया है और विश्व-भारती की अनूठी शिक्षा प्रणाली और इसे विश्वविद्यालय का दर्जा देने के प्रभाव पर लिखा गया है। टैगोर ने शांति निकेतन में विश्व-भारती की स्थापना की थी। विश्व भारती के पूर्व उपकुलपति सुशांत दत्तागुप्ता द्वारा लिखी गई और नियोगी बुक्स द्वारा प्रकाशित किताब को विश्वविद्यालय की विशेष योग्यता के आधार पर तैयार किया गया है। यह विश्वविद्यालय टैगोर के विचारों के अनुरूप आदर्श शिक्षा और समग्र शिक्षा के गठन पर आधारित है। दत्तागुप्ता के मुताबिक विज्ञान, रचना और रवीन्द्रसंगीत के बीच गहरा अंतरसंबंध है।
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